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कविता-- सितारों की महफिल


कविता--सितारों की महफिल

सितारों की महफिल जमीं है
कहकहों में जल बुझ रहे हैं
टिमटिमाते हुए भी कितने
खूबसूरत लग रहे हैं

अमावस भरी रात है
चाँद भी आज मुँह फुलाए बैठा है
चमचम चमकता आसमान
हीरों सा चमक रहा है

आसमान से छलका हो 
जैसे कोई जाम
आज बिन पिए लगे 
बरसात हो रही सुबह शाम

अंधेरे में टिमटिमाते जुगनुओं जैसे
चमकते सितारों का झुरमुट लगे ऐसे
क्षितिज की बगिया मे
हीरोंके हैं फूल खिले..!

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सीमा
दैनिक प्रतियोगिता के लिए

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8 Comments

Achha likha h

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Raziya bano

16-Sep-2022 06:21 PM

Shaandar

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Reena yadav

16-Sep-2022 05:09 PM

👍👍

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